9 Mar 2012

आर्यभटीय

आज चर्चा भारतीय विज्ञान की एक महान कृति पर। महान वैज्ञानिक आर्यभट्ट की लिखी महज 118 श्लोक (मगलाचरण को छोड़कर) की पुस्तिका आर्यभटीय पर। पुस्तक चार भागों में हैं। शुरुआती दस श्लोक दशगीतिक कहताले हैं। शेष 108 आर्या छंद में हैं। इसके तीन भाग गणित, कालक्रिया और गोल हैं। पुस्तक की सबसे बड़ी उपलब्धि एक नवीन अंक पद्धति की खोज है। शब्दों के झमेले से हटकर आर्यभट्ट ने अक्षरांक-पद्धति को जन्म दिया। पुस्तक के शुरुआती एक श्लोक में इस अंक पद्धति के सारे नियम समाहित है। जबकि गणितपाद के 32 श्लोक में अंकगणित, रेखागणित, त्रिकोणमिति व बीजगणित के अनेक नियम हैं। खगोल विज्ञान पर चर्चा करते हुए उन्होंने लिखा कि पृथ्वी गोल है और यह अपने अक्ष पर घूमती है। इसी तरह ग्रहण पर उनका मत था कि चंद्रमा जब सूर्य का ढक लेता है तो सूर्य ग्रहण और पृथ्वी की छाया जब सूर्य को ढंक लेती है तो चंद्र ग्रहण लगता है।