3 Feb 2012

जीवा बनाम साइन्

आज चर्चा गणित के साइन् की। यहां हम विज्ञान लेखक गुणाकर मुले की पुस्तक आर्यभट्ट का संदर्भ देंगे। इसमें उन्होंने संस्कृत शब्दों के अरबी अनुवाद का जिक्र किया है। मुले के मुताबिक, "...अनुवादकों के सामने एक शब्द आया "जीवा"। अनुवादक जानते थे कि 'जीवा' खास अर्थ देता है। लिहाजा अनुवाद न कर उन्होंने इस शब्द को ज्यों का त्यों स्वीकार कर लिया। अब चूंकि अरबी साहित्य में स्वर नहीं हैं, इसलिए जीवा शब्द को अरबी में ज-ब लिख दिया गया। अरबी विद्वानों को तो इसकी समझ थी, लेकिन जब अरबी ग्रंथ यूरोप पहुंचे और इनका लैटिन में अनुवाद होने लगा तो ज-ब शब्द यूरोपीय विद्वानों को अबूझ लगा। उन्हें भान न था कि यह संस्कृत शब्द है। उनकी समझ से यह शब्द भी अरबी भाषा का है। यूरोपियों ने स्वर डालकर इसे जेब के इर्द-गिर्द समझा। यानि पाकिट या खीसा, जो कुर्ते में सीने के पास होता है। इस निष्कर्ष पर पहुंचते ही उन्होंने इसका तर्जुमा किया छाती। इसका लैटिन शब्द होता है सिनुस्। संक्षिप्त रुप में इसे साइन् से जाना गया।..."
एक सटीक टिप्पणी के साथ उन्होंने इस संदर्भ को खत्म किया। "दुनिया भर के कालेजों में आज गणित पढ़ने वाले छात्र साइन् से भली-भांति परिचित हैं। पर कितने अध्यापक व छात्र जानते हैं कि गणित का यह साइन शब्द संस्कृत के जीवा शब्द से बना है...????"

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