5 Feb 2012

प्रत्यास्थता

आज चर्चा पदार्थों के उस गुण की, जिससे बाहरी दवाब पड़ने पर भी वह अपने आकार को दुबारा पा लेते हैं। वैज्ञानिक शब्दावली में इसे प्रत्यास्थता कहा जाता है। यह पदार्थों के ऐसा गुण है, जिससे वाह्य बल लगाने पर उसमें विकृति आती है। लेकिन बल हटते ही वह अपनी मूल स्थिति में आ जाता है। ब्रिटिश भौतिक शास्त्री Robert Hooke ने एक नियम भी दिया। 1676 AD में। इसके अनुसार, किसी प्रत्यास्थ वस्तु की लम्बाई में परिवर्तन, उस पर आरोपित बल के समानुपाती होता है।
अब भारतीय विद्वान श्रीधराचार्य की चर्चा करेंगे। 991 एडी में इन्होंने एक श्लोक लिखा...।
ये घना निबिड़ाः अवयवसन्निवेशाः तैः विशष्टेषु
स्पर्शवत्सु द्रव्येषु वर्तमानः स्थितिस्थापकः स्वाश्रयमन्यथा
कथमवनामितं यथावत् स्थापयति पूर्ववदृजुः करोति।
 इसका मतलब देखिए...।
लचीलापन सघन बनावट वाले पदार्थों का मौलिक गुण है। यह वाह्य बल लगाने के बावजूद पदार्थ को वापस उसके मूल आकार में आने में मदद करता है।

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