5 Jan 2012

पौराणिक आख्यान और फोटान सिद्धांत

आइए पौराणिक आख्यानों और फोटान सिद्धांत की तुलना की जाए। भगवान सूर्य, इनका सात रंग के सात घोड़ों का रथ, लगाम के तौर पर सांप...। इसकी जानकारी तो आपको होगी ही...। बात सर्प की करते हैं...। देखा जाए तो बनावट में इसका पिछला हिस्सा पतला और मुख चैड़ा होता है...। इसके फण पर मणि होती है और चाल तरंग जैसी होती है...। वहीं आधुनिक विज्ञान प्रकाश को फोटान नामक कणों का प्रवाह मानता है...। इसका न द्रव्यमान होता है न भार...। सारे मौलिक कणों की तरह इनमें भी तरंग व कण दोनों की प्रवृत्ति होती है...। इसका पिछला सिरा पतला और आगे धीरे-धारे चैड़ा होता जाता है। संस्कृत ग्रंथो में प्रकाश किरणों को प्रिथु मुखः कहा गया है...। इस तरह कहा जा सकता है कि बेशक हमारे पूर्वजों ने फोटान शब्द का उल्लेख नहीं किया...। इसका श्रेय आइंस्टीन को जाता है। लेकिन इसकी संभावना पूरी है कि वह इसके गुणों से परिचित थे...।

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