आज शुरुआत एक सवाल से, कि चेतन की प्रकृति क्या है...? यहां सदर्भ वैज्ञानिक Schrodinger और जे. सी. बोस का दूंगा। Schrodinger को इसका जवाब उपनिषदों में मिला...। इनके मुताबिक अविभाजित अनंत चेतना का ब्रह्मांड के सभी पदार्थों में वास है। जीवात्मा=परमात्मा का समीकरण सभी समस्याओं का समाधान दे सकता है...। जबकि जे.सी. बोस ने प्रमाणित किया कि पौधे की हर पत्ती में चेतना वास करती है। किसी बाहरी उद्दीपन से यह प्रतिक्रिया भी देती है। इस आधार पर क्या यह माना जाए कि एक पौधे पर अधिकाधिक चेतना वास करती है, या यह कहना ज्यादा उपयुक्त होगा कि एक ही चेतना पूरे वृक्ष में है? Schrodinger बताते हैं कि चेतना सिर्फ एक है...।
एक सवाल और...। मानव शरीर में चेतना का वास कहां है...? न्यूरोफिजियोलाॅजी फिलहाल इसका सर्वमान्य जवाब नहीं दे सकी है। मशहूर न्यूरोफिजियोलाॅजिस्ट W. Penfield ने 20 वर्ष तक इस विषय पर काम किया...। आखिरकार इन्होंने बताया कि चेतना सिर्फ दिमाग में वास नहीं करती। आगे नोबल पुरस्कार विजेता George Wald ने इस अवधारणा को मजबूत किया। इनके मुताबिक चेतना सिर तक ही सीमित नहीं। इसका वास पूरे शरीर में होता है...। वहीं John Eccles ने बताया कि बेशक चेतना मानव मस्तिष्क के माध्यम से काम करती है, लेकिन यह इससे बढ़कर है...।
अंत भारतीय दर्शन के इस सिद्धांत से कि यह वही चेतना है जो सर्वत्र मौजूद है। लघुतम कणों से लेकर असीम ब्रह्म तक में...। फिर कहूंगा कि आज विज्ञान में जड़-चेतन का फर्क धूमिल होता जा रहा है...। लगातार...। दोनों एक-दूसरे में गुंथे प्रतीत होते हैं।
एक सवाल और...। मानव शरीर में चेतना का वास कहां है...? न्यूरोफिजियोलाॅजी फिलहाल इसका सर्वमान्य जवाब नहीं दे सकी है। मशहूर न्यूरोफिजियोलाॅजिस्ट W. Penfield ने 20 वर्ष तक इस विषय पर काम किया...। आखिरकार इन्होंने बताया कि चेतना सिर्फ दिमाग में वास नहीं करती। आगे नोबल पुरस्कार विजेता George Wald ने इस अवधारणा को मजबूत किया। इनके मुताबिक चेतना सिर तक ही सीमित नहीं। इसका वास पूरे शरीर में होता है...। वहीं John Eccles ने बताया कि बेशक चेतना मानव मस्तिष्क के माध्यम से काम करती है, लेकिन यह इससे बढ़कर है...।
अंत भारतीय दर्शन के इस सिद्धांत से कि यह वही चेतना है जो सर्वत्र मौजूद है। लघुतम कणों से लेकर असीम ब्रह्म तक में...। फिर कहूंगा कि आज विज्ञान में जड़-चेतन का फर्क धूमिल होता जा रहा है...। लगातार...। दोनों एक-दूसरे में गुंथे प्रतीत होते हैं।
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