यह तय नहीं कि शून्य का प्रयोग सबसे पहले कब हुआ। हां, पिंगल के छंद सूत्र में इसका वर्णन आता है। यह भी कहा गया है कि दूसरी सदी ईसा पूर्व वैदिक संत गुत्समद ने सबसे पहले इसका प्रयोग किया। फिर वेदों की ऋचाओं की संख्या 10,580 है, शब्द 1,53,820 और अक्षर 4,32,000 हैं। यानि विवरण अति सूक्ष्म है। इससे लगता है कि सभ्यता की शुरुआत में ही शून्य का ज्ञान मानव को था।
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