31 Jan 2012

हर कण प्रेमी

आज चर्चा पृथ्वी के प्रेम की...। छोटे-बड़ी सभी वस्तुओं के आपसी लगाव की...। यानि इनके गुरुत्वाकर्षण शक्ति की...। शुरुआत ब्रिटिश खगोलविद Isaac Newton (1642 – 1727AD) से...। इन्होंने बताया कि पृथ्वी ही नहीं, अपितु विश्व का प्रत्येक कण दूसरे कण को अपनी ओर खींचता रहता है। इसका एक भी फार्मूला दिया इन्होंने...। इसके मुताबिक दो कणों के बीच कार्य करने वाला आकर्षण बल उन कणों के द्रव्यमान के गुणनफल का समानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग का व्युत्क्रमानुपाती होता है। कणों के बीच कार्य करने वाले आकर्षण को गुरुत्वाकर्षण व उससे उत्पन्न बल को गुरुत्वाकर्षण बल कहा जाता है। यही न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण नियम कहते हैं।
लेकिन भारतीय मनीषी भास्कराचार्य द्वितीय को देखिए। न्यूटन से करीब 500 साल पहले इन्होंने अपने ग्रंथ सिद्धांत शिरोमणि में साफ बताया कि पृथ्वी में ही नहीं, गुरुवाकर्षण शक्ति सभी भारी वस्तुओं में होती है....। इनका श्लोक पढि़ए...। इसका लब्बोलुबाब है, 'पृथ्वी में आकर्षण शक्ति है। इस शक्ति के सहारे पृथ्वी आकाश की तरफ से भारी वस्तुओं को अपनी तरफ खींचती है। वस्तुएं इसकी तरफ गिरती दिखतीं है। इसी तरह की शक्ति उस वस्तु में भी होती है, जो पृथ्वी पर गिरती है...।' यही नहीं, इनसे पहले संत कणाद ने बताया था कि यह पृथ्वी की शक्ति है, जो सब प्रकार के अणुओं को अपनी ओर खींचती है...।

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