आज चर्चा धरती की लट्टुई गति पर...। यह अपनी धुरी पर चक्कर लगाती है...। पश्चिम से पूर्व की ओर 23.5 अंश झुककर...। 23 घंटे 56 मिनट और 4 .091 सेकंड में...। माना जाता है कि फ्रांसीसी भौतिक विद Jean Bernard Leon Foucault ने 'Foucault पेंडुलम' बनाया। 1851 में। इससे धरती की दैनिक गति का पता चला...।
अब जिक्र आर्यभट्ट का करुंगा। 5 वीं सदी में इन्होंने आर्यभटीय लिखा। पुस्तक के अध्याय 4 का 9 वां श्लोक देखिए....।
अनुलोमगतिनौस्थः पश्यत्यचलं विलोमगं यद्वत्।
अचलानि भानि तद्वत् समपश्चिमगानि लड्.कायाम्।।
यानि जैसे ही एक व्यक्ति समुद्र में नाव से आगे बढ़ता है, उसे किनारे की स्थिर चीजें विपरीत दिशा में चलती दिखती हैं। इसी तरह स्थिर तारे लंका (भूमध्य रेखा) से पश्चिम की जाते दिखते हैं...।
अब जिक्र आर्यभट्ट का करुंगा। 5 वीं सदी में इन्होंने आर्यभटीय लिखा। पुस्तक के अध्याय 4 का 9 वां श्लोक देखिए....।
अनुलोमगतिनौस्थः पश्यत्यचलं विलोमगं यद्वत्।
अचलानि भानि तद्वत् समपश्चिमगानि लड्.कायाम्।।
यानि जैसे ही एक व्यक्ति समुद्र में नाव से आगे बढ़ता है, उसे किनारे की स्थिर चीजें विपरीत दिशा में चलती दिखती हैं। इसी तरह स्थिर तारे लंका (भूमध्य रेखा) से पश्चिम की जाते दिखते हैं...।
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