आज चर्चा भगवान शिव के तांडव नृत्य की....। सृष्टि के विनाश और पुनः निर्माण का द्योतक...। आधुनिक क्वांटम सिद्धांत पर नटराज की तुलना वैज्ञानिक Fritzof Capra की नजर से देखिए...। 1975 में Tao of Physics नामक पुस्तक लिखी इन्होंने...। उनके मुताबिक आधुनिक भौतिकी में पदार्थ निष्क्रिय और जड़ नहीं है। एक-दूसरे का विनाश व रचना करते वह सतत नृत्य में रत है...। दाएं हाथ का डमरू नए परमाणु की उत्पत्ति व बाएं हाथ की मशाल पुराने परमाणुओं के विनाश की कहानी बताता है। अभय मुद्रा में भगवान का दूसरा दांया हाथ हमारी सुरक्षा जबकि वरद मुद्रा में उठा दूसरा बांया हाथ हमारी जरुरतों की पूर्ति सुनिश्चित करता है...। अर्थात शिव जी का ताण्डव नृत्य ब्रह्माण्ड में हो रहे मूल कणों के नृत्य का प्रतीक है...। लिहाजा कोई आश्चर्य नहीं नाभिकीय अनुसंधान यूरोपीय संगठन (सी ई आर एन) में नटराज की प्रतिमा की स्थापना पर...।
अच्छी जानकारी,आभार
ReplyDeleteMarriage of Sun & Moon
ReplyDeleteसौरऊर्जा, इलेक्ट्रोन और लिनोलेनिक एसिड का अलौकिक संबंध:-
डॉ. बुडविग इस युग की महान, स्पष्टवादी, निडर और विदुषी वैज्ञानिक रही हैं और इन्होंने सूर्य के फोटोन्स और मानव शरीर में इलेक्ट्रोन्स के आकर्षण और अनुराग को क्वांटम भौतिकी और जीवरसायन विज्ञान के परिपेक्ष में देवता सूर्य और देवी चन्द्रमा के रहस्यमय गन्धर्व विवाह की संज्ञा दी है। सूर्य और विभिन्न सितारों से निकला प्रकाश इस बृह्माण्ड में सबसे तेज गति से विचरण करता है। इस पूरी कायनात में प्रकाश से तेज चलने वाली कोई वस्तु या किरण नहीं है। प्रकाश समय के साथ चलता है। क्वांटम भौतिकी के अनुसार सूर्य की किरणों के सबसे छोटे घटक या कण को क्वांटम या फोटोन कहते हैं जो अनंत हैं, शाश्वतहैं, सक्रिय हैं, सदैव हैं, ऊर्जावान हैं और गतिशील हैं। इन्हें कोई ताकत रोक नहीं सकती है। ये ऊर्जा का सबसे परिष्कृत रूप हैं, ये सबसे निर्मल लहर हैं। इनमें ब्रह्मांड के सारे रंग है। ये अपना रंग, प्रकृति और आवृत्ति बदल सकते हैं। जब दो फोटोन एक ही लय में स्पन्दन कर रहे हों तो कभी वे आपस में जुड़ कर अस्थाई और क्षणिक काल के लिए पदार्थ का एक छोटा सा रूप जिसे π0 कण कहते हैं बन जाते हैं। यह कण दूसरे ही क्षण टूट कर दो फोटोन्स के रूप में विभाजित हो जाता है और पुनः एक विशुद्ध लहर (द्रव्यमान रहित) का रूप ले लेता है। यह फोटोन्स की ऊर्जा (प्रकाश) से पदार्थ में और फिर पदार्थ से ऊर्जा में अवस्था परिवर्तन का निराला उदाहरण है। फोटोन्स को एक स्थान पर स्थिर करना असंभव होता है, यही सापेक्षता के सिद्धांत (Theory of Relativity) का आधार है।
इलेक्ट्रोन्स परमाणु का घटक है और न्यूक्लियस के चारों ओर अपने निश्चित कक्ष में निश्चित आवृत्ति में सदैव परिक्रमा करते रहते हैं, सदैव सक्रिय, ऊर्जावान और गतिशील रहते हैं। इलेक्ट्रोन्स फोटोन्स से प्रेम करते हैं और इनका चुम्बकीय क्षेत्र अत्यन्त गतिशील फोटोन को अपनी ओर आकर्षित करता है, यदि वे एक ही लय में स्पन्दन कर रहे हों। जब भी कोई विद्युत आवेश गतिशील होता है तो एक चुम्बकीय क्षेत्र बनता है। गतिशील फोटोन का भी चुम्बकीय क्षेत्र होता है। फोटोन्स की आवृत्ति, जिसे वह बदल सकते हैं, स्पन्दन कर रहे इलेक्ट्रोन्स की आवृत्ति के समकक्ष होने पर ही वे मिल सकते हैं और कक्ष में एक ही लय और ताल पर गुंजन करते हैं। यह प्रकृति का बहुत दिलचस्प और पवित्र नृत्य है जिसे वैज्ञानिकों ने भौतिक, जैविक, पारलौकिक और दार्शनिक दृष्टिकोण से भी बहुत महत्वपूर्ण माना है।
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