5 Jan 2012

शल्य चिकित्सा और हम

भारतीय शल्य चिकित्सा का एक विवरण मद्रास गजेट (1793) में आया है...। इसके मुताबिक अग्रेजों की सहायता करने के नाराज टीपू सुल्तान ने 1793 में मराठा केवशजी सहित चार सैनिकों की नाक काट दी। ब्रिटिश कमांडिग अधिकारी इन्हें एक वैद्य के पास ले गया। वैद्य ने सर्जरी कर इनकी नाक ठीक की। 1794 में यह स्टोरी लंदन की जेंटलमेन मैगजीन में भी प्रकाशित हुई। इससे प्रेरित होकर ब्रिटिश सर्जन J.C. Carpue ने दो भारतीयों की सर्जरी की। बाद में यही काम जर्मन सर्जन Greafe ने भी किया।
कहने का मतलब यह कि भारतीय शल्य चिकित्सा पद्धति मराठा प्रदेश से यूरोप पहुंची। फिर 200 साल बाद प्लास्टिक सर्जरी के रूप में इसका यूरोप से आयात किया गया। जबकि हमारे यहां यह बहुत पहले से ही विकसित थी। ईसा पूर्व में ही। सुश्रुत संहिता में नाक, ओठ व कान की सर्जरी का विस्तार से वर्णन है।

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